आखिर जिम्मेदार कब समझेंगे अपनी जिम्मेदारी
(अमलावद)क्षेत्रीय ब्यूरो- यु तो अमलावद गांव अपनी सामाजिक और धार्मिक छवि की वजह से दूर दूर तक जाना जाता है धार्मिक छवि देखे तो गांव के दोनों ओर फंटे पर पर नाग देवता का स्थान है और सामाजिक तौर पर इस गांव में बहुत बड़े बड़े काम जन सहयोग से हो जाते हैं परंतु जिनकी जिम्मेदारी हैं वह आज भी सुप्त हैं आज भी गांव गंदगी से लबरेज़ हैं और रास्ते आज भी बेखबर है चुनाव से पहले किए गए वादे आज भी वादे ही हैं आज भी वह वादे हकीकत में नहीं बदल पाए हैं गांव के परिपेक्ष की बात करें तो जब एक तरफ से हम गांव के अंदर जाते हैं जहां से पक्की सड़क है परंतु जैसे ही गांव के अंदर जाते हैं हमारा स्वागत गांव की गंदगी से होता है जगह-जगह गंदगी है, दूसरी तरफ अगर हम शेषावतार धाम की ओर से गांव में जाएं तो फंटे से थोड़ा सा आगे चलें तो हमारा स्वागत है बहुत ही उबड़ खाबड़ सड़क करती हैं यहां भी हालात वही हैं जैसे ही गांव में जाते हैं हमारा स्वागत गांव की गंदगी से होता है।।
जिम्मेदार आज तक क्यों सोये हैं या फिर उन्हें उनकी जिम्मेदारी है एहसास करवाने वाला कोई व्यक्ति नहीं है इस गांव के सामाजिक कार्यकर्ता भी कहीं ना कहीं अपनी सामाजिक कार्य प्रणाली की एक अच्छी छाप छोड़ चुके हैं परंतु वह भी जिम्मेदार पंचायत को जगाने में कहीं ना कहीं ना काम है।