ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो -२ जो लौट के घर न आये -२ ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी जब घायल हुआ हिमालय खतरे में पड़ी आज़ादी जब तक थी साँस लड़े वो फिर अपनी लाश बिछा दी संगीन पे धर कर माथा सो गये अमर बलिदानी जो शहीद... जब देश में थी दीवाली वो खेल रहे थे होली जब हम बैठे थे घरों में वो झेल रहे थे गोली थे धन्य जवान वो आपने थी धन्य वो उनकी जवानी जो शहीद... कोई सिख कोई जाट मराठा कोई गुरखा कोई मदरासी सरहद पर मरनेवाला हर वीर था भारतवासी जो खून गिरा पवर्अत पर वो खून था हिंदुस्तानी जो शहीद... थी खून से लथ-पथ काया फिर भी बन्दूक उठाके दस-दस को एक ने मारा फिर गिर गये होश गँवा के जब अन्त-समय आया तो कह गये के अब मरते हैं खुश रहना देश के प्यारों अब हम तो सफ़र करते हैं क्या लोग थे वो दीवाने क्या लोग थे वो अभिमानी जो शहीद... तुम भूल न जाओ उनको इस लिये कही ये कहानी जो शहीद...
जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने भारत ने मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आयी तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलायी देता ना दशमलव भारत तो यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था धरती और चाँद की दूरी का अंदाज़ लगाना मुश्किल था सभ्यता जहाँ पहले आयी पहले जनमी है जहाँ पे कला अपना भारत जो भारत है जिसके पीछे संसार चला संसार चला और आगे बढ़ा ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया भगवान करे ये और बढ़े बढ़ता ही रहे और फूले-फले मदनपुरी: चुप क्यों हो गये? और सुनाओ है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ काले-गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है कुछ और न आता हो हमको हमें प्यार निभाना आता है जिसे मान चुकी सारी दुनिया मैं बात वोही दोहराता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ जीते हो किसीने देश तो क्या हमने तो दिलों को जीता है जहाँ राम अभी तक है नर में नारी में अभी तक सीता है इतने पावन हैं लोग जहाँ मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ इतनी ममता नदियों को भी जहाँ माता कहके बुलाते है इतना आदर इन्सान तो क्या पत्थर भी पूजे जातें है इस धरती पे मैंने जनम लिया ये सोच के मैं इतराता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ
जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने भारत ने मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आयी तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलायी देता ना दशमलव भारत तो यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था धरती और चाँद की दूरी का अंदाज़ लगाना मुश्किल था सभ्यता जहाँ पहले आयी पहले जनमी है जहाँ पे कला अपना भारत जो भारत है जिसके पीछे संसार चला संसार चला और आगे बढ़ा ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया भगवान करे ये और बढ़े बढ़ता ही रहे और फूले-फले मदनपुरी: चुप क्यों हो गये? और सुनाओ है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ काले-गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है कुछ और न आता हो हमको हमें प्यार निभाना आता है जिसे मान चुकी सारी दुनिया मैं बात वोही दोहराता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ जीते हो किसीने देश तो क्या हमने तो दिलों को जीता है जहाँ राम अभी तक है नर में नारी में अभी तक सीता है इतने पावन हैं लोग जहाँ मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ इतनी ममता नदियों को भी जहाँ माता कहके बुलाते है इतना आदर इन्सान तो क्या पत्थर भी पूजे जातें है इस धरती पे मैंने जनम लिया ये सोच के मैं इतराता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ