रोशनी खाने वाला तारा नजर आया दुनिया के वैज्ञानिकों को

रोशनी खाने वाला तारा नजर आया दुनिया के वैज्ञानिकों को

नासा के वैज्ञानिकों रोशनी खाने वाला तारा का पता लगाया है। अत्याधुनिक Hubble टेलीस्कोप ने इस नये तारा का पता बताया है। इसकी खासियत यह है कि यह तारा खुद ही प्रकाश को खा जाता है। इससे आकाशगंगा में ब्लैक होल के रहस्यों का भी पता चल सकता है। बताते चलें कि ऐसे तारों को एक्सोप्लानेट कहा जाता है। इनका नामकरण ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि ये तमाम तारें हमारे सौरमंडल के लाखों प्रकाश वर्ष दूर हैं। घने काले रंग का यह तारा देखने में Jupiter की तरह है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह का निर्माण गैस से हुआ है। यहां पर तापमान 46 सौ डिग्री से भी ज्यादा है। नासा के हब्बल टेलीस्कोप (एचएसटी) ने इस घने काले रंग के तारा की विशेषता यह है कि यह रोशनी को पूरी तरह सोख लेता है। तारा के ऊपर पड़ने वाली कोई भी रोशनी परावर्तित होकर नहीं आती। वर्तमान आकलन के मुताबिक यह तारा एक अन्य परिचित तारा कॉंस्टेलियन आउरिगा से करीब 1400 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। इस तारा पर आने वाली रोशनी का 95 फीसदी भाग तारा द्वारा सोख लिया जाता है। आम तौर पर दूसरे तारों से प्रकाश की किरणें परावर्तित होकर लौट जाती हैं। वैज्ञानिकों ने इस रोशनी खाने वाले तारा का नाम WASP-12b है। इसी तरह का एक तारा हमारे सौर मंडल के जूपिटर के जैसा है। इनकी संरचना भी गैस से हुई है और वहां की धरती का तापमान अत्यधिक अधिक है। इस तरह के तापमान की वजह से वहां कोई मौसम बन ही नहीं पाता है। वहां बादल भी नहीं बनते। नतीजतन प्रकाश की किरणें वहां पड़ने के बाद गुम हो जाती हैं। हाइड्रोजन सोख लेता है प्रकाश को