ATM किये जा रहे हैं बंद, जानिये क्या हैं इसके पीछे के तार्किक कारण

★ATM किये जा रहे हैं बंद, जानिये क्या हैं इसके पीछे के तार्किक कारण।
बैंक्स ने कई शहरों में कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिये ATM की संख्या में कमी करनी शुरु कर दी है. इस साल जून से अगस्त के बीच 358 ATM बंद कर दिये गये हैं. दिलचस्प बात ये है कि पिछले 4 सालों में देश में ATM की संख्या में 16.4 प्रतिशत की तेजी आयी थी. लेकिन इनके बंद होते ही देश में ATM की संख्या में 0.16 प्रतिशत की कमी आयी है. आपको बता दें कि पहला मौका है जब देश में ATM की ग्रोथ रेट में कमी आयी है.
नोटबंदी का पड़ा क्या असर- बैंक्स ने नोटबंदी के बाद शहरों में इनके इस्तेमाल में आयी कमी और इनके ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ने की वजह से इनकी समीक्षा की. इस मामल में देश के दिग्गज बैंक्स ने ATM को घटाने का कदम उठाया है. देश में सबसे बड़े ATM नेटवर्क वाले बैंक SBI के साथ पंजाब नेशनल बैंक और निजी क्षेत्र के बैंक HDFC ने भी अपने ATM की संख्या में कमी कर दी है

क्यो उठाया गया ये कदम-

बैंकों की मानें तो मेट्रो में ATM की मंथली ऑपरेशनल कॉस्ट पर 1 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं. कारण नीचे हैं… अगर मेट्रो शहर के किसी प्राइम लोकेशन पर एटीएम है तो करीब 40000 रुपये तक तो सिर्फ किराया देना पड़ता है. ATM में सेफ्टी के लिये प्रयोग में आ रहे सेफ्टी स्टाफ को भी देनी पड़ती है सैलरी. इसके अलावा ATM के मेंटीनेंस चार्ज और इलेक्ट्रिसिटी बिल में भी काफी रुपये खर्च हो जाते हैं. ATM में बिजली का बिल ठीक-ठाक आ जाता है. क्योंकि इसमें पूरे दिन का टेंपरेचर 15 से 18 डिग्री सेल्सियस रखना होता है. ये पूरा खर्च मिलाकर मोटा-मोटा 100000 रुपये तक पहुंच जाता है.