पेट्रोल-डीजल में 'आग': 31 रुपये की कीमत पर आप कैसे दे रहे है 79 रुपये..!
पेट्रोल-डीजल में 'आग': 31 रुपये की कीमत पर आप कैसे दे रहे है 79 रुपये..!
देश में जीएसटी लागू हुए 3 महीने से ज्यादा को समय हो गया और महंगाई पर लगाम नहीं लगी है, तो उठ रहे सवालो के बीच बेहताशा बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी है। वर्तमान समय में पेट्रोल-डीजल की कीमते 2014 के बाद अब तक के सबसे उच्ततम स्तर पर पहुंच गई हैं.
मायानगरी मुंबई में जहां लोग एक लीटर पेट्रोल को 79 रुपए में पेट्रोल खरीद रहे हैं, तो दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल की कीमत 70 रुपए है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी इसलिए आम लोगों को हैरान कर रही है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लगातार घटी हैं.
कच्चे तेल की कीमतों में आई है कमी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें पिछले तीन साल के दौरान 50 फीसदी से ज्यादा कम हो गई हैं, लेकिन इसी दौरान भारत में लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. 13 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 3093 रुपए प्रति बैरल है. 2014 में एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 6 हजार रुपए के करीब थी. पिछले तीन सालों में कच्चे तेल की कीमतो में आई कमी का फायदा ग्राहकों को नहीं मिला है.
ऐसे 31 रुपए में तैयार होता है पेट्रोल
इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम कच्चे तेल को रिफाइन करती हैं. कैच न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये कंपनियां एक लीटर कच्चे तेल के लिए 21.50 रुपए का भुगतान करती हैं. इसके बाद एंट्री टैक्स, रिफाइनरी प्रोसेसिंग, लैंडिंग कॉस्ट और अन्य ऑपरेशनल कॉस्ट को मिला दें तो एक लीटर कच्चे तेल को रिफाइन करने में 9.34 रुपए खर्च होते हैं. इसका मतलब है कि एक लीटर पेट्रोल तैयार करने में ऑयल कंपनियों को करीब 31 रुपए का खर्च आता है. ऐसे में आज आप अगर 1 लीटर पेट्रोल के लिए 79 रुपए तक भर रहे हैं, तो इसके लिए इन पर वूसला जाने वाला टैक्स जिम्मेदार है.
इसलिए नहीं मिल रहा आपको फायदा
ऑयल कंपनियों के स्तर पर 31 रुपए में 1 लीटर पेट्रोल तैयार हो जाता है. इसके बाद उस पर केंद्र सरकार की तरफ से टैक्स वसूला जाता है. इसका मतलब है कि आप 48 रुपए से ज्यादा तो सिर्फ टैक्स दे रहे हैं. साल 2014 से अब तक केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 126 फीसदी बढ़ा दी है. वहीं, डीजल पर लगने वाली ड्यूटी में 374 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.
डायनैमिक प्राइसिंग का है जोर
एक समय ऐसा भी था जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 50 पैसे या 1 रुपए की भी बढ़ोत्तरी हो जाती थी, तो हंगामा हो जाता था. विपक्ष इसके खिलाफ मोर्चा निकाल लेता था. लेकिन आज कीमतें तीन साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई हैं, लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. दरअलस इसकी वजह है डायनैमिक प्राइसिंग. दरअसल केंद्र सरकार ने 16 जून को डायनैमिक प्राइसिंग अपनाई थी. इसके तहत पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हर दिन बदलाव किया जाता है.
सरकार अपना वादा भूल गई?
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों के दैनिक आधार पर संशोधन करने की व्यवस्था में किसी प्रकार के सरकारी दखल की संभावना से इन्कार किया है। लेकिन उन्होंने कहा है कि इस दिशा में सुधार जारी रहेंगे। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की आलोचना को गलत बताते हुए श्री प्रधान ने कहा कि 16 जून से दैनिक संशोधन की व्यवस्था के बाद, बीते पखवाड़े में इन कीमतों में गिरावट को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दैनिक संशोधन का फायदा उपभोक्ताओं तक सीधे पहुंचता है।
भारत अपनी पेट्रोलियम आवश्यकताओं का अस्सी प्रतिशत आयात करता है और अप्रैल 2002 से घरेलू कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों से निर्धारित हैं।
क्या था सरकार का वादा
ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि रोज कीमतें तय करने का फायदा आम लोगों को मिलेगा. उन्होंने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में आई कमी को तुरंत ही आम नागरिकों तक पहुंचाया जा सकेगा. लेकिन ऐसा कहीं होता नहीं दिख रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कमी आई है, लेकिन इसका फायदा कहीं भी आम लोगों को मिलता नहीं दिख रहा है ऐसे में सरकार को याद करने की जरूरत है कि उसने जिस वादे के साथ डायनैमिक प्राइसिंग को देश में लागू किया था, वह पूरा होता नहीं दिख रहा है. ऐसा में क्या यह समझा जाए कि सरकार अपना वादा भूल गई है.
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